6/09/2011

खेल फरूक्खाबादी है

निहुरे-निहुरे क्या
खड़े-खड़े
अब होती चोरी ऊंटों की!

शाहों से कहें
जागने को
चोरों से कहते चोरी को,
पकड़े जाने पर
ऊपर से
आमादा सीनाजोरी कोय

सच्चाई की
निगरानी में
चौकस है सेना झूठों की!

सबके होते हैं
भाव-ताव
चुप रहने और बोलने के,
जो दिनभर
मूंदे आंख रहें
सिक्कों से उन्हें तोलने के!

बस मुलुर-मुलुर
ताका करती है
फौज खड़ी रंगरूटों की!

गांधीवादी हैं
कहने को
सर से पांवों तक खादी है,
लेकिन बेखटके
खुला खेल
हो रहा फरूक्खाबादी है!

वो न्यारे हो जो जाते हैं
अदला बदली में
खूंटो की!

4/18/2011

आप सभी को मेरा नमस्‍कार।

ब्‍लॉग जगत के साथियो को मेरा नमस्‍कार। आज मेरी ब्‍लॉगिंग का पहला दिन है। मेरा परिचय निम्‍नानुसार है:

नाम-
(डा0) रवि शंकर पाण्डेय

जन्म-
19570, जिला चित्रकूट (उ0प्र0)

शिक्षा-           
एम.एस.सी. (वन.वि.), डी.फिल. (इलाहाबाद वि.वि.)

कृतित्व-
1. अकार, आशय, कथन, कथाक्रम, कथादेश, गूंज, जनसत्ता-वार्षिकांक, परिवेश, माध्यम, उत्तर प्रदेश, वर्तमान-साहित्य, वागर्थ, वचन, संवेद, साहित्य-अमृत, स्वाधीनता-वार्षिकांक, साक्षात्कार, हंस तथा नया ज्ञानोदय जैसी स्तरीय पत्रिकाओं में कवितायें, नवगीत आलेख प्रकाशित।

2. 'अंधड़ में दूब' (वर्ष- 2000) तथा 'इस आखेटक समय में' (वर्ष-2010) शीर्षक से दो कविता संग्रह प्रकाशित।

3. लोक विज्ञान की पुस्तकें 'हम और हमारा पर्यावरण', 'प्रदूषण हमारे आस-पास', 'मिटटी को उपजाऊ कैसे बनायें', 'फसलों की खुराक'  तथा 'पर्यावरण चिन्तन' प्रकाशित।

विधायें-
1. कविता (नवगीत) ।
2. गद्य (विज्ञान लेखन)।          

पुरस्कार/सम्मान-
1. राजभाषा पुरस्कार द्वारा राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार, वर्ष 2003, पुस्तक हम और हमारा पर्यावरणपर।
2. हिन्दी सेवी सम्मान, द्वारा इफ्को संस्था, नई दिल्ली वर्ष 2004
3. राज्य कर्मचारी साहित्य परिषद, लखनऊ द्वारा साहित्य गौरवपुरस्कार वर्ष-2009
4. राज्य कर्मचारी साहित्य परिषद लखनऊ द्वारा सुमित्रा नंदन पंतपुरस्कार वर्ष-2010

वर्तमान-
0प्र0 सिविल सेवा के सदस्य के रूप में लखनऊ में कार्यरत।

सम्पर्क सूत्र-
3/29, विराम खण्ड, गोमती नगर, लखनऊ-226010
0522 - 2303329 ( आवास ), मो0- 9415799625